कोई आरटिस्ट है या नहीं, लेकिन ज्यादातर लोगों को पेंटिंग करना, बहुत पसंद होता है। शायद आप स्टूडेंट्स ने भी, लेक्चर में कभी, टीचर का कार्टून बनाया होगा, या ऑफिस मीटिंग में अपने बॉस का, बेकार सा स्कैच। कंचन भी पेंटिंग कर रही थी। इतने में, शरारती आनंद आता है, और उसकी पेंसिल छीनकर, उसे चिढ़ाना शुरू कर देता है। कंचन उससे पेंसिल छीनने की कोशिश करती है, लेकिन उनकी इसी नोक-झोंक में पेंसिल टूट जाती है। कंचन रोना शुरू कर देती है, तो आनंद कहता है, ये छोटी सी, सस्ती पेंसिल के लिए रो रही हो। वो उसे चिढ़ाता है। उनके पापा, ये सब देख रहे थे। तो उन्होंने कहा- एक पेंसिल से ज्यादा कीमती, और बढि़या, शायद ही कुछ
और हो। अपनी लिखावट से, पूरी दुनिया में रेवोल्यूशन लाने की ताकत रखती है। इसे शार्प करते हैं, लेकिन इसका हर दर्द, इसे और बेहतर बनाता है। इसमें एक इरेजर है, अगर इससे कोई गलती होती है, तो ये अपनी गलती को सुधार सकती है। और जो भी लिखती है, बनाती है, हर जगह, अपनी एक पहचान और छाप छोड़ कर जाती है। और सबसे बड़ी बात, चाहे कुछ भी हो, अपने अंत तक, हमेशा लिखना जारी रखती है। अगर सफल होना है, तो इस पेंसिल की तरह बनो। चाहे कुछ भी हो, इस पेंसिल की तरह, हमेशा आगे बढ़ते रहें। जब चल रहे हैं, तो गलतियां होंगी, लेकिन उन्हें सुधार कर, एक बेहतर इन्सान बनें। और अपनी एक अलग पहचान बनाएं।